The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

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The mantra seeks the blessings of Tripura Sundari to manifest and satisfy all wished-for outcomes and aspirations. It can be believed to invoke the combined energies of Mahalakshmi, Lakshmi, and Kali, with the last word goal of attaining abundance, prosperity, and fulfillment in all components of existence.

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

The underground cavern includes a dome higher over, and barely seen. Voices echo superbly off the ancient stone from the partitions. Devi sits in a pool of holy spring water that has a Cover over the top. A pujari guides devotees via the entire process of paying out homage and obtaining darshan at this most sacred of tantric peethams.

The supremely attractive Shodashi is united in the heart on the infinite consciousness of Shiva. She gets rid of darkness and bestows light. 

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

Around the 16 petals lotus, Sodhashi, who's the form of mother is sitting down with folded legs (Padmasana) gets rid of every one of the sins. And fulfils each of the needs with her 16 varieties of arts.

कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।

She is depicted being a 16-yr-outdated Woman which has a dusky, purple, or gold complexion and a 3rd eye on her forehead. She is amongst the ten Mahavidyas and is here also revered for her attractiveness and electric power.

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

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